Friday, October 4, 2013

Thursday, June 20, 2013

उत्तराखंड यात्रा पर गए जिले के 20 लोगों का पता नहीं
तीन दिनों से नहीं मिली अपनों की कोई खैर खबर
सीतापुर। ...मोबाइल भी नहीं मिल पा रहा है। सोमवार को ही पत्नी से बात हुई थी। उसने बताया था कि गंगोत्री से स्नान कर जत्था आगे बढ़ रहा है। बारिश से बहुत दिक्कत है। कई जगह सड़कें धंस गईं हैं। खाने-पीने की बहुत दिक्कत है। कुछ सूझ नहीं रहा है। सिर्फ तीन मिनट ही बात हो पाई और फोन कट गया। तब से लेकर आज तक लगातार फोन मिला रहा हूं लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पा रहा। पता नहीं वहां क्या हुआ होगा। यह बताते हुए सिधौली के विवेक नगर निवासी केपी शुक्ला का गला भर आया। नम आंखें उनकी तकलीफ को बयां कर रहीं थीं। केपी शुक्ला जैसे कई और परिवार अपने परिचितों का हाल जानने के लिए परेशान हैं। उत्तराखंड में आए जल प्रलय में सीतापुर के भी छह परिवारों के 20 लोग फंसे हुए हैं।
जिले के करीब 138 लोग इन दिनों उत्तराखंड की यात्रा पर हैं। जिनमें से छह परिवारों के करीब 20 लोगों का कोई पता नहीं चल रहा है। पिछले तीन दिनों से उनके परिवारीजन और रिश्तेदारों को इन लोगों की कोई खोज खबर नहीं मिल सकी है। ये लोग जिले के सिधौली, अटरिया और खैराबाद कस्बों के हैं। खैराबाद कस्बे के बिहारी लाल ने इन लोगों की यात्रा का प्रबंध किया था। ये सभी दस जून की शाम को यात्रा के लिए जिले से रवाना हुए थे।
यात्रा पर गए उमाकांत के छोटे भाई सर्वेश शुक्ला के मुताबिक भइया और भाभी दोनों साथ गए हैं। उनका भी कोई हालचाल नहीं मिल रहा है। विवेक नगर निवासी केपी शुक्ला ने बताया कि सीतापुर से सभी लोग एक बस में सवार होकर गए थे। जत्थे में कुल 68 लोग थे।
उन्होंने बताया कि इस जत्थे में पत्नी मनोरमा भी गई हंै। मोबाइल पर कई बार बात हुई थी। उसने बताया था कि उत्तराखंड में आगे की यात्रा के लिए ऋषिकेश से दूसरी बस की गई है। 48 लोग एक बस में व बाकी 20 लोग दूसरी बस में हैं। केपी शुक्ल ने बताया कि दूसरी बस में सवार 48 लोग उत्तरकाशी के एक इंटर कॉलेज में सुरक्षित हैं, जबकि मनोरमा वाली बस का कहीं कोई पता नहीं चल रहा है। इससे परिवार के लोग डरे हुए हैं। सोमवार के बाद से मोबाइल से संपर्क नहीं हो पाया। इसके अलावा सीतापुर शहर के भी कई परिवार इन दिनों चारधाम यात्रा के लिए गए हैं। इस जत्थे में 70 श्रद्धालु शामिल हैं। जत्थे में शामिल सेक्रेट हार्ट डिग्री कॉलेज के गणित विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष गुप्ता ने मोबाइल पर हुई बातचीत में बताया कि वह सभी लोग पूरी तरह से सुरक्षित हैं। तबाही के बाद वह सभी पूरे जत्थे सहित सीतापुर के लिए वापस चल पड़े हैं। जिले से गए 110 यात्री सुरक्षित हैं

Monday, June 17, 2013

गन्ना मूल्य के भुगतान में लेटलतीफी पड़ रही भारी

‘गुर्जर आंदोलन’ फिल्म में िदखेगा सीतापुरिया कलाकार
सीतापुर (ब्यूरो)। अपने शहर का छोरा जल्द ही फिल्मों में दिखेगा। ‘गुर्जर आंदोलन’ फिल्म में कसमंडा ब्लॉक के विक्रमपुर सरैया गांव के भीमसेन इंस्पेक्टर के रोल में दिखेंगे। फिल्म की आधे से अधिक शूटिंग पूरी हो चुकी है। बची हुई शूटिंग अब राजस्थान में होगी। अपने हिस्से की शूटिंग पूरी कर घर लौटे भीमसेन उर्फ भीम से ‘अमर उजाला’ ने बात की।
नोएडा के एक होटल से कैशियर के रूप में अपना कॅरिअर शुरू करने वाला भीम ने आर्थिक समस्याओं के चलते हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी। परिवार को आर्थिक सुदृढ़ता देने के लिए उन्होंने अपने दूसरे परिवारीजन की ही तरह ही नोएडा का रुख किया। वहां 2005 से 2011 तक एक होटल में कैशियर के रूप में नौकरी की। बाद में होटल मालिक सुखवीर सिंह सिखोवन ने उन्हें मुंबई स्थित अपने स्टूडियो में मैनेजर के पद पर तैनाती दे दी। मुंबई में एक टैलेंट प्रतियोगिता के जरिए चयन हुआ। यहीं से किस्मत बदल गई। भीम की अभिनय से प्रभावित हो फिल्म के निर्माता-निर्देशक अरुण नागर ने उसे अपनी बहुचर्चित फिल्म ‘गुर्जर आंदोलन’ में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका दे दी। राजस्थान के गुर्जर आंदोलन पर बन रही इस फिल्म की अधिकतर शूटिंग मुंबई सहित कई क्षेत्रों में हुई। आधे से अधिक शूटिंग पूरी हो चुकी है। भीम बताते हैं कि अब बाकी बची हुई शूटिंग राजस्थान में होगी। िफल्म नवंबर में िरलीज होगी। भीम ने बताया कि निर्देशक ने अपनी अगली फिल्म ‘मुखिया’ में भी सह कलाकार का रोल दिया है।

घाघ की कहावत को साकार किया जिले के किसानों ने
हुनर से लिख रहे तरक्की की इबारत

सीतापुर। ‘उत्तम खेती मध्यम बान। निषद चाकरी भीख निदान।।’ घाघ की यह प्रसिद्ध कहावत सीतापुर जिले में एकदम सटीक बैठ रही है। जिले के एक-दो नहीं बल्कि 24 गन्ना किसानों ने खेती की आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक अपना कर वो कारनामा कर दिखाया है, जिसकी ख्याति प्रदेश के दूसरे जनपदों में भी पहुंच गई है। इन किसानों ने औसत उपज का पांच गुना गन्ना उगाकार लोगों को चकित कर दिया है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों के गन्ना किसान और चीनी मिलों के प्रबंधकों के अलावा कई कृषि वैज्ञानिक भी इनके खेतों का अवलोकन कर चुके हैं। यह गन्ना किसान अपने हुनर से खेती के जरिए तरक्की की इबारत लिख रहे हैं।
रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर पलायन करने वाले युवाओं में किसान खेती में नई उम्मीद जगा रहे हैं। बिसवां चीनी मिल क्षेत्र के बखरिया गांव के आरिफ खान और अब्दुल हादी, टिकरा गांव के शैलेंद्र वर्मा, बाढ़रमऊ के ओमकार नाथ वर्मा, रामगढ़ चीनी मिल क्षेत्र के भानु प्रताप के खेतोें में मौजूदा समय में लगे गन्ने की ऊचाईं 10 से 11 फीट है। प्रत्येक पौधे से 12 से 18 तक कल्ले निकल चुके हैं। खेतों का निरीक्षण कर चुके फसल एवं पौध सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव का मानना है कि फसल की प्रारंभिक अवस्था को देखते हुए अनुमान है कि इन खेतों में औसत उपज से पांच से छह गुना अधिक उत्पादन होगा। इन गन्ना किसानों ने खेतों में गन्ने के साथ सह फसली की भी बोआई की है। जिसकी वे कटाई कर चुके हैं। शैलेंद्र वर्मा ने पत्ता गोभी, ओमकार नाथ वर्मा ने सरसों, अब्दुल हादी ने लाही और आलू को सह फसल के रूप में बोया था। इससे इन किसानों को अतिरिक्त लाभ हुआ है। जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि जिले में गन्ने की औसत उपज 565 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। जबकि इन खेतों में 2500-3000 कुंतल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होगी।
इन गन्ना किसानों ने बताया कि खेती में यह ‘कारनामा’ यूं ही नहीं हो गया है। इसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। किसानों की माने तो गन्ना बोआई का जो आदर्श समय (25 अगस्त से 20 सितंबर) में ट्रेंच विधि से बोआई कर खाद और पानी की संतुलित मात्रा का समय पर उपयोग किया गया। जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि सभी चीनी मिलों को इस बाबत एक पत्र जारी कर निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में ऐसे ही गन्ना किसानों का चयन कर उन्हें खेती की आधुनिक और वैज्ञानिक विधियों की जानकारी दी जाए। इन किसानाें की मेहनत दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है।